तू ही बता दे कैसे काटूँ
रात और ऐसी काली रात
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अहल-ए-दिल ने किए तामीर हक़ीक़त के सुतूँ
मरने के बअ'द कोई पशेमाँ हुआ तो क्या
उलझी थीं जिन नसीम से कलियाँ ख़बर न थी
तिरी जुस्तुजू तिरी आरज़ू मुझे काम तेरे ही काम से
साफ़ कहिए कि प्यार करते हैं
हुस्न जिस हाल में नज़र आया
लोग कहते रहे क़रीब है वो
बुरी तक़दीर के रोने से हासिल
तिरी जवान उमंगों को हो गया है क्या
ऐ दिल तिरी आहों में इतना तो असर आए
वो तिरी ज़ुल्फ़ का साया हो कि आग़ोश तिरा
रुमूज़-ए-इश्क़ की गहराइयाँ सलामत हैं