तिरी जवान उमंगों को हो गया है क्या
डरी डरी सी मोहब्बत मुझे पसंद नहीं
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(815) Peoples Rate This
याद आए हैं उफ़ गुनह क्या क्या
मुझ को सुकूँ की चैन की पज़मुर्दगी से क्या
जुनूँ के कैफ़-ओ-कम से आगही तुझ को नहीं नासेह
हुस्न जिस हाल में नज़र आया
तू ही बता दे कैसे काटूँ
कारवाँ तो निकल गया कोसों
लोग कहते रहे क़रीब है वो
ये रात यूँही बसर हो गई तो क्या होगा
दिल है बीमार क्या करे कोई
मैं ने तन्हाइयों के लम्हों में
तिरी जुस्तुजू तिरी आरज़ू मुझे काम तेरे ही काम से
साफ़ कहिए कि प्यार करते हैं