अक़्ल ने तर्क-ए-तअल्लुक़ को ग़नीमत जाना
दिल को बदले हुए हालात पे रोना आया
Rahat Indori
Gulzar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Habib Jalib
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1084) Peoples Rate This
हुस्न जिस हाल में नज़र आया
शिकवा नहीं दुनिया के सनम-हा-ए-गिराँ का
उलझी थीं जिन नसीम से कलियाँ ख़बर न थी
बुरी तक़दीर के रोने से हासिल
दर्द-ए-दिल ने ली न थी करवट अभी
मैं ने तन्हाइयों के लम्हों में
तू ही बता दे कैसे काटूँ
वाए नाकामी-ए-क़िस्मत कि भँवर से बच कर
अहल-ए-दिल ने किए तामीर हक़ीक़त के सुतूँ
लोग कहते रहे क़रीब है वो
साफ़ कहिए कि प्यार करते हैं
ये रात यूँही बसर हो गई तो क्या होगा