आप पर जब से तबीअत आई

आप पर जब से तबीअत आई

रोज़-ओ-शब मुझ पे क़यामत आई

हाए बर्बाद किया है क्या क्या

रास हम को न मोहब्बत आई

ऐ हवस-कार तिरी नज़रों में

कब भला मेरी हक़ीक़त आई

ज़िंदगी बीत गई है यूँही

जब भी आई शब-ए-फ़ुर्क़त आई

ज़ुल्म गो उस ने बहुत बार किए

लब पे मेरे न शिकायत आई

तेरी ख़ातिर से जहाँ को छोड़ा

फिर भी तुझ को न मोहब्बत आई

दिल-ए-बेताब है तड़पा क्या क्या

जब कभी याद वो सूरत आई

इन फ़सानों में जहाँ के अक्सर

कुछ नज़र मुझ को हक़ीक़त आई

आप मासूम बहुत थे पहले

आप को कब से शरारत आई

ऐ 'ज़की' इश्क़ के हाथों हम पर

जब भी आई तो मुसीबत आई

(1026) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aap Par Jab Se Tabiat Aai In Hindi By Famous Poet Zaki Kakorvi. Aap Par Jab Se Tabiat Aai is written by Zaki Kakorvi. Complete Poem Aap Par Jab Se Tabiat Aai in Hindi by Zaki Kakorvi. Download free Aap Par Jab Se Tabiat Aai Poem for Youth in PDF. Aap Par Jab Se Tabiat Aai is a Poem on Inspiration for young students. Share Aap Par Jab Se Tabiat Aai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.