मेरी बर्बादियों की ये तस्वीर

मेरी बर्बादियों की ये तस्वीर

गर्दिश-ए-वक़्त की है एक लकीर

हुस्न-ए-तदबीर की निगाहों से

देख तो अपने बख़्त की तहरीर

दूर कर दे दिलों की तारीकी

ऐ जमाल-ए-ख़ुलूस की तनवीर

तुम समझते हो जिन को मीर-ए-चमन

ज़ुल्फ़-ए-हिर्स-ओ-हवा के हैं वो असीर

खा रहा हूँ फ़रेब-ए-आज़ादी

देख कर पाँव की नई ज़ंजीर

झूटी तौक़ीर के लिए अक्सर

बेच देते हैं लोग अपना ज़मीर

कल भी आ जाएगा मगर 'ज़ख़्मी'

कितनी धुँदली है आज की तस्वीर

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