Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_25f1f689903310a94987c8882959993b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ये जो बिफरे हुए धारे लिए फिरता हूँ मैं - ज़करिय़ा शाज़ कविता - Darsaal

ये जो बिफरे हुए धारे लिए फिरता हूँ मैं

ये जो बिफरे हुए धारे लिए फिरता हूँ मैं

अपने हमराह किनारे लिए फिरता हूँ मैं

ताबिश ओ ताब लिए आएगा सूरज मेरा

रात भर सर पे सितारे लिए फिरता हूँ मैं

बर्ग-ए-आवारा-सिफ़त साथ मुझे भी ले चल

तेरे अंदाज़ तो सारे लिए फिरता हूँ मैं

ये अलग बात चुरा लेता है नज़रें अपनी

उस की आँखों में नज़ारे लिए फिरता हूँ मैं

कोहर में डूबी ये सरमा की सवेर ऐ दुनिया

तुम समझती हो तुम्हारे लिए फिरता हूँ मैं

जाने क्या बात है पूरे ही नहीं होते हैं

जाने क्या दिल में ख़सारे लिए फिरता हूँ मैं

फूल होंटों पे हँसी के हैं महकते हुए 'शाज़'

और साँसों में शरारे लिए फिरता हूँ मैं

(1068) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ye Jo Biphre Hue Dhaare Liye Phirta Hun Main In Hindi By Famous Poet Zakariya Shaz. Ye Jo Biphre Hue Dhaare Liye Phirta Hun Main is written by Zakariya Shaz. Complete Poem Ye Jo Biphre Hue Dhaare Liye Phirta Hun Main in Hindi by Zakariya Shaz. Download free Ye Jo Biphre Hue Dhaare Liye Phirta Hun Main Poem for Youth in PDF. Ye Jo Biphre Hue Dhaare Liye Phirta Hun Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Ye Jo Biphre Hue Dhaare Liye Phirta Hun Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.