खोया हुआ था हासिल होने वाला हूँ
खोया हुआ था हासिल होने वाला हूँ
मैं काग़ज़ पर नाज़िल होने वाला हूँ
छोड़ आया हूँ पीछे सब आवाज़ों को
ख़ामोशी में दाख़िल होने वाला हूँ
ख़ुद ही अपना रस्ता देख रहा हूँ मैं
ख़ुद ही अपनी मंज़िल होने वाला हूँ
मुझ को शरीक-ए-महफ़िल भी कब समझें वो
मैं जो जान-ए-महफ़िल होने वाला हूँ
जाने क्या कह जाएगा डर लगता है
आईने के मुक़ाबिल होने वाला हूँ
रूह सुलगती और पिघलती जाती है
एक बदन में शामिल होने वाला हूँ
आख़िर कब तक अपने नाज़ उठाऊँ 'शाज़'
आज अपना ही क़ातिल होने वाला हूँ
(993) Peoples Rate This