Ghazals of Zakariya Shaz
नाम | ज़करिय़ा शाज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Zakariya Shaz |
ये जो बिफरे हुए धारे लिए फिरता हूँ मैं
ये अलग बात कि चलते रहे सब से आगे
उतरें गहराई में तब ख़ाक से पानी आए
उस का ख़याल दिल में घड़ी दो घड़ी रहे
संग किसी के चलते जाएँ ध्यान किसी का रक्खें
मुझ तक निगाह आई जो वापस पलट गई
मोहब्बत एक ऐसा रास्ता है
क्या नज़ारा था मेरी आँखों में
किस क़यामत की घुटन तारी है
खोया हुआ था हासिल होने वाला हूँ
कहाँ दिन रात में रक्खा हुआ हूँ
जब भी घर के अंदर देखने लगता हूँ
हम तुझ से कोई बात भी करने के नहीं थे
दुख न सहने की सज़ाओं में घिरा रहता है
धूप सरों पर और दामन में साया है
देखो घिर कर बादल आ भी सकता है
छाँव से उस ने दामन भर के रक्खा है