ज़करिय़ा शाज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़करिय़ा शाज़ (page 2)
नाम | ज़करिय़ा शाज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Zakariya Shaz |
मोहब्बत एक ऐसा रास्ता है
क्या नज़ारा था मेरी आँखों में
किस क़यामत की घुटन तारी है
खोया हुआ था हासिल होने वाला हूँ
कहाँ दिन रात में रक्खा हुआ हूँ
जब भी घर के अंदर देखने लगता हूँ
हम तुझ से कोई बात भी करने के नहीं थे
दुख न सहने की सज़ाओं में घिरा रहता है
धूप सरों पर और दामन में साया है
देखो घिर कर बादल आ भी सकता है
छाँव से उस ने दामन भर के रक्खा है