घटने वाले थे जब अज़ाब मरे
घटने वाले थे जब अज़ाब मरे
आ गए याद मुझ को ख़्वाब मिरे
एक पहलू में सो रहे हैं वो
एक पहलू में है किताब मिरे
नाप लेंगे अब और कितनी बार
कपड़े सी दीजिए जनाब मिरे
इश्क़ अगर राएगाँ हुआ तो क्या
आज बच्चे हैं कामयाब मिरे
वैसे भी ऑपशन नहीं था कोई
बन गए तुम ही इंतिख़ाब मिरे
मेरे गालों तक आ गया है वो
चूमते चूमते गुलाब मिरे
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