Ghazals of Zahiir Ahmad Taaj
नाम | ज़हीर अहमद ताज |
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अंग्रेज़ी नाम | Zahiir Ahmad Taaj |
ज़ब्त-ए-ग़म मुश्किल है और मुश्किल है मुश्किल का जवाब
निगाह-ए-शौक़ को रुख़ पर निसार होने दो
नज़र को वुसअतें दे बिजलियों से आश्ना कर दे
नग़्मा के सोज़ से अयाँ दिल का गुदाज़ हो गया
मुझ पर सुरूर छा गया बादा-ए-दिल-नवाज़ से
मिरे दिल को मोहब्बत ख़ूब गरमाए तो अच्छा हो
क्यूँ वो महबूब रू-ब-रू न रहे
किसी की याद-ए-रंगीं में है ये दिल बे-क़रार अब तक
गेसू-ए-शेर-ओ-अदब के पेच सुलझाता हूँ मैं
दिल देख रहे हैं वो जिगर देख रहे हैं
ऐ मिरी जान-ए-आरज़ू माने-ए-इल्तिफ़ात क्या
आसूदा-ए-महफ़िल अभी दम भर न हुआ था