हो गए अम्बर-फ़शाँ दोनों-जहाँ मेरे लिए

हो गए अम्बर-फ़शाँ दोनों-जहाँ मेरे लिए

मुस्कुराया गुलशन-ए-कौन-ओ-मकाँ मेरे लिए

क्या हुआ मैं ने जो गाए नग़्मा-ए-दार-ओ-रसन

तुम ने ख़ुद छेड़ था साज़-ए-इम्तिहाँ मेरे लिए

आँख भर आई गुलों के चाक दामाँ देख कर

नश्तर-ए-ग़म है चमन की दास्ताँ मेरे लिए

ये समझ कर अपनी बर्बादी पर हँसती हूँ मुदाम

तेरी दुनिया में नहीं शायद अमाँ मेरे लिए

हम-कनार-ए-जल्वा-ए-यज़्दाँ है मेरा दिल 'कमाल'

कैफ़-ज़ा हैं रात की तन्हाइयाँ मेरे लिए

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Ho Gae Ambar-fashan Donon-jahan Mere Liye In Hindi By Famous Poet Zahida Kamal. Ho Gae Ambar-fashan Donon-jahan Mere Liye is written by Zahida Kamal. Complete Poem Ho Gae Ambar-fashan Donon-jahan Mere Liye in Hindi by Zahida Kamal. Download free Ho Gae Ambar-fashan Donon-jahan Mere Liye Poem for Youth in PDF. Ho Gae Ambar-fashan Donon-jahan Mere Liye is a Poem on Inspiration for young students. Share Ho Gae Ambar-fashan Donon-jahan Mere Liye with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.