Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e7f543270dfa04275a7dec1bca6c81c0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वक़्त के नाम एक ख़त - ज़ाहिद इमरोज़ कविता - Darsaal

वक़्त के नाम एक ख़त

ज़िंदगी बहुत मसरूफ़ हो गई है

जो ख़्वाब मुझे आज देखना था

वो अगली पैदाइश तक मुल्तवी करना पड़ा है

बचपन में लगे ज़ख़्म पर मरहम रखने के लिए

डॉक्टर ने अभी सिर्फ़ वादा किया है

कल के लिए साँसें कमाते हाथ

सुब्ह तक चाय नहीं पी सकते

लेकिन घबराओ नहीं

सब की यही हालत है

वो बता रही थी

उस ने अपनी सुहाग-रात तब मनाई

जब वो हैज़ के बरस गुज़ार चुकी थी

ज़िंदगी बहुत मसरूफ़ हो गई है

अपनी सारी पूँजी बेच कर

मैं ने चंद लम्हे ये कहने के लिए ख़रीदे हैं

कि जब कभी मैं मर गया

तो कोशिश करना

मुझे अगले जनम से ज़रा पहले दफ़ना देना

(1471) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Waqt Ke Nam Ek KHat In Hindi By Famous Poet Zahid Imroz. Waqt Ke Nam Ek KHat is written by Zahid Imroz. Complete Poem Waqt Ke Nam Ek KHat in Hindi by Zahid Imroz. Download free Waqt Ke Nam Ek KHat Poem for Youth in PDF. Waqt Ke Nam Ek KHat is a Poem on Inspiration for young students. Share Waqt Ke Nam Ek KHat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.