इज़हार मोहब्बत के लिए लाज़मी नहीं
कि फूल ख़रीदे जाएँ
किसी होटल में कमरा लिया जाए
या परिंदे आज़ाद किए जाएँ
इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए तुम अपने बोसे
काग़ज़ में लपेट कर भेज सकती हो
जिस तरह मैं ने अपने जज़्बे
तुम्हें पोस्ट कर दिए हैं
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Rahat Indori
Gulzar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Wasi Shah
Allama Iqbal
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(874) Peoples Rate This
थूका हुआ आदमी
काएनाती गर्द में बरसात की एक शाम
इज़हार का मतरूक रास्ता
मैं अच्छा फ़नकार नहीं
तुम जा चुकी हो
तज़ाद की काश्त
नीम-लिबासी का नौहा
चोर दरवाज़ा खुला रहता है
हम इज़ाफ़ी मिट्टी से बने
अधूरी मौत कर कर्ब
हर्माफ्रोडाइट
वक़्त के नाम एक ख़त