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नज़्म - ज़ाहिद डार कविता - Darsaal

नज़्म

मेरे ख़याल में वो औरत

दुनिया की लज़ीज़-तरीन औरत है

मैं उस के अंदर ग़र्क़ हो जाऊँगा

वो मुझे दूर दूर से

अपना आप दिखाती है

मेरे अंदर भूक और प्यास को बेदार करती है

और जब मैं ख़्वाहिश की आग में जलने लगता हूँ

वो इत्मीनान से हँसने लगती है

मेरा जी चाहता है कि मैं उस को खा जाऊँ

मैं उस को पूरे का पूरा निगल जाना चाहता हूँ

जब मैं उस की तरफ़ बढ़ता हूँ

वो मुझे डाँट कर भगा देती है

और मैं दर्द से तड़प उठता हूँ

और मैं तन्हाई में आ कर रोता हूँ

और मैं मुसलसल रोता ही रहता हूँ

जब उस से जुदाई का दर्द मेरी बर्दाश्त से बाहर हो जाता है

मैं एक बार फिर उस के पास जाता हूँ

और वो कहती है: अरे तुम कहाँ थे?

मुद्दत से दिखाई नहीं दिए

और एक बार फिर

उस की अदाओं का जादू मुझ पर छा जाता है

इस के जिस्म की कशिश मुझे मदहोश कर देती है

मैं पागलों की तरह उसे घूरने लगता हूँ

मैं अपनी आँखों से उस को चूमता और चाटता हूँ

मैं अपनी आँखों से उस को खाता रहता हूँ

और वो ख़ामोशी से सब कुछ देखती रहती है

जब मैं बे-ताब हो जाता हूँ

तो अचानक वो ग़ुस्से में आ जाती है

वो मुझ से नाराज़ हो जाती है

और मैं एक धुतकारे हुए कुत्ते की तरह

अपनी तन्हाई में वापस आ जाता हूँ

अपनी बेबसी पर आँसू बहाने के लिए

और मैं मुसलसल रोता ही रहता हूँ

मेरे ख़याल में वो औरत

दुनिया की ज़ालिम-तरीन औरत है

और मैं उस औरत से मोहब्बत करता हूँ

मैं उस के अंदर ग़र्क़ हो जाऊँगा

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Nazm In Hindi By Famous Poet Zahid Dar. Nazm is written by Zahid Dar. Complete Poem Nazm in Hindi by Zahid Dar. Download free Nazm Poem for Youth in PDF. Nazm is a Poem on Inspiration for young students. Share Nazm with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.