Ghazals of Zahid Chaudhry
नाम | ज़ाहिद चौधरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Zahid Chaudhry |
ज़ुल्फ़-ए-ख़मदार में नूर-ए-रुख़-ए-ज़ेबा देखो
वो बहर-ओ-बर में नहीं और न आसमाँ में है
वो आफ़्ताब में है और न माहताब में है
नहीं ये रस्म-ए-मोहब्बत कि इश्तिबाह करो
मेरा वजूद उस को गवारा नहीं रहा
जब आशिक़ी में मेरा कोई राज़-दाँ नहीं
गो मुब्तला-ए-गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर हूँ मैं
चमन में सैर-ए-गुल को जब कभी वो मह-जबीं निकले
चला हूँ घर से मैं अहवाल-ए-दिल सुनाने को
चल दिया वो उस तरह मुझ को परेशाँ छोड़ कर