Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_cd83a6e37f6093788489ecfeb69f6a39, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कुछ बस न चला जज़्बा-ए-ख़ुद-काम के आगे - ज़हीर काश्मीरी कविता - Darsaal

कुछ बस न चला जज़्बा-ए-ख़ुद-काम के आगे

कुछ बस न चला जज़्बा-ए-ख़ुद-काम के आगे

झुकना ही पड़ा उस बुत-ए-बदनाम के आगे

इक और भी हसरत है पस-ए-हसरत-ए-दीदार

इक और भी आग़ाज़ है अंजाम के आगे

आ और इधर कोई तजल्ली की किरन फेंक

बैठे हैं गदा तेरे दर-ओ-बाम के आगे

ये इश्क़ है बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल नहीं है

कुछ और भी है कूचा-ए-असनाम के आगे

यूँ उन की जफ़ाओं से मिली हम को बसीरत

हम झुक न सके गर्दिश-ए-अय्याम के आगे

दिन ढलने लगा दिल-ज़दगाँ दिल की ख़बर लो

इक सिलसिला-ए-हिज्र भी है शाम के आगे

अब कुछ भी नहीं हासिल-ए-तदबीर-ए-मोहब्बत

अब कुछ भी नहीं नामा-ओ-पैग़ाम के आगे

इक सेहर सा तारी था 'ज़हीर' अहल-ए-ख़िरद पर

थे मोहर-ब-लब हुस्न-ए-दिल-आराम के आगे

(1020) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kuchh Bas Na Chala Jazba-e-KHud-kaam Ke Aage In Hindi By Famous Poet Zaheer Kashmiri. Kuchh Bas Na Chala Jazba-e-KHud-kaam Ke Aage is written by Zaheer Kashmiri. Complete Poem Kuchh Bas Na Chala Jazba-e-KHud-kaam Ke Aage in Hindi by Zaheer Kashmiri. Download free Kuchh Bas Na Chala Jazba-e-KHud-kaam Ke Aage Poem for Youth in PDF. Kuchh Bas Na Chala Jazba-e-KHud-kaam Ke Aage is a Poem on Inspiration for young students. Share Kuchh Bas Na Chala Jazba-e-KHud-kaam Ke Aage with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.