जमाल पा के तब-ओ-ताब-ए-ग़म यगाना हुआ है

जमाल पा के तब-ओ-ताब-ए-ग़म यगाना हुआ है

मिरे लिए ये ज़र-ए-गुल चराग़-ए-ख़ाना हुआ है

रम-ए-ख़याल हरीफ़-ए-रम-ए-ज़माना हुआ है

तुलू-ए-सुब्ह-ए-तमन्ना पयम्बराना हुआ है

नयन में दिल की गुलाबी का अक्स झूम रहा है

दुखों की धूम है आलम शराब-ख़ाना हुआ है

बस एक जोत जगी है कहीं कोई भी नहीं है

मिज़ाज-ए-वस्ल ब-हर-रंग-ए-आरिफ़ाना हुआ है

कुछ और धूप मिरे ग़म कुछ और अश्क झमाझम

घना हुआ है ये जंगल तो शामियाना हुआ है

मिरे निगार-ए-गुरेज़ाँ तुझे मैं कैसे भुला दूँ

कि तू परस्तिश-ए-असनाम का बहाना हुआ है

जगत जगत मिरे जी को जुनूँ उड़ाए फिरे है

तिरी तरह तिरा ग़म आफ़त-ए-ज़माना हुआ है

ये छाँव छाँव न रोओ 'ज़हीर' दिल को सँभालो

ढली है शाम मगर यूँ कोई दिवाना हुआ है

(877) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jamal Pa Ke Tab-o-tab-e-gham Yagana Hua Hai In Hindi By Famous Poet Zaheer Fatehpuri. Jamal Pa Ke Tab-o-tab-e-gham Yagana Hua Hai is written by Zaheer Fatehpuri. Complete Poem Jamal Pa Ke Tab-o-tab-e-gham Yagana Hua Hai in Hindi by Zaheer Fatehpuri. Download free Jamal Pa Ke Tab-o-tab-e-gham Yagana Hua Hai Poem for Youth in PDF. Jamal Pa Ke Tab-o-tab-e-gham Yagana Hua Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jamal Pa Ke Tab-o-tab-e-gham Yagana Hua Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.