Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9a42b107dedea9a91f9ee21e5c543e0f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिल गया दिल का निशाँ बाक़ी रहा - ज़हीर देहलवी कविता - Darsaal

दिल गया दिल का निशाँ बाक़ी रहा

दिल गया दिल का निशाँ बाक़ी रहा

दिल की जा दर्द-ए-निहाँ बाक़ी रहा

कौन ज़ेर-ए-आसमाँ बाक़ी रहा

नेक-नामों का निशाँ बाक़ी रहा

हो लिए दुनिया के पूरे कारोबार

और इक ख़्वाब-ए-गिराँ बाक़ी रहा

रफ़्ता रफ़्ता चल बसे दिल के मकीं

अब फ़क़त ख़ाली मकाँ बाक़ी रहा

चल दिए सब छोड़ कर अहल-ए-जहाँ

और रहने को जहाँ बाक़ी रहा

कारवाँ मंज़िल पे पहुँचा उम्र का

अब ग़ुबार-ए-कारवाँ बाक़ी रहा

मिल गए मिट्टी में क्या क्या मह-जबीं

सब को खा कर आसमाँ बाक़ी रहा

मिट गए बन बन के क्या क़स्र ओ महल

नाम को इक ला-मकाँ बाक़ी रहा

आरज़ू ही आरज़ू में मिट गए

और शौक़-ए-आस्ताँ बाक़ी रहा

ऐश ओ इशरत चल बसे दिल से 'ज़हीर'

दर्द ओ ग़म बहर-ए-निशाँ बाक़ी रहा

(1288) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil Gaya Dil Ka Nishan Baqi Raha In Hindi By Famous Poet Zaheer Dehlvi. Dil Gaya Dil Ka Nishan Baqi Raha is written by Zaheer Dehlvi. Complete Poem Dil Gaya Dil Ka Nishan Baqi Raha in Hindi by Zaheer Dehlvi. Download free Dil Gaya Dil Ka Nishan Baqi Raha Poem for Youth in PDF. Dil Gaya Dil Ka Nishan Baqi Raha is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil Gaya Dil Ka Nishan Baqi Raha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.