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बज़्म-ए-दुश्मन में जा के देख लिया - ज़हीर देहलवी कविता - Darsaal

बज़्म-ए-दुश्मन में जा के देख लिया

बज़्म-ए-दुश्मन में जा के देख लिया

ले तुझे आज़मा के देख लिया

तुम ने मुझ को सता के देख लिया

हर तरह आज़मा के देख लिया

उन के दिल की कुदूरतें न मिटीं

अपनी हस्ती मिटा के देख लिया

कुछ नहीं कुछ नहीं मोहब्बत में

ख़ूब जी को जला के देख लिया

कुछ नहीं जुज़ ग़ुबार-ए-कीन-ओ-इनाद

हम ने दिल में समा के देख लिया

न मिले वो किसी तरह न मिले

ग़ैर को भी मिला के देख लिया

क्या मिला नाला ओ फ़ुग़ाँ से 'ज़हीर'

हश्र सर पर उठा के देख लिया

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Bazm-e-dushman Mein Ja Ke Dekh Liya In Hindi By Famous Poet Zaheer Dehlvi. Bazm-e-dushman Mein Ja Ke Dekh Liya is written by Zaheer Dehlvi. Complete Poem Bazm-e-dushman Mein Ja Ke Dekh Liya in Hindi by Zaheer Dehlvi. Download free Bazm-e-dushman Mein Ja Ke Dekh Liya Poem for Youth in PDF. Bazm-e-dushman Mein Ja Ke Dekh Liya is a Poem on Inspiration for young students. Share Bazm-e-dushman Mein Ja Ke Dekh Liya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.