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ज़फ़र सहबाई Ghazal In Hindi - Best ज़फ़र सहबाई Ghazal Shayari & Poems - Darsaal

Ghazals of Zafar Sahbai

Ghazals of Zafar Sahbai
नामज़फ़र सहबाई
अंग्रेज़ी नामZafar Sahbai
जन्म की तारीख1946
जन्म स्थानBhopal

ये क्या तहरीर पागल लिख रहा है

शब के ग़म दिन के अज़ाबों से अलग रखता हूँ

सब्ज़े से सब दश्त भरे हैं ताल भरे हैं पानी से

रखा है बज़्म में उस ने चराग़ कर के मुझे

रखा है बज़्म में उस ने चराग़ कर के मुझे

मैं तुम्हें फूल कहूँ तुम मुझे ख़ुश्बू देना

कभी कभी कोई चेहरा ये काम करता है

जब अधूरे चाँद की परछाईं पानी पर पड़ी

जब अधूरे चाँद की परछाईं पानी पर पड़ी

हरे पत्तो सुनहरी धूप की क़ुर्बत में ख़ुश रहना

गुल हैं तो आप अपनी ही ख़ुश्बू में सोचिए

चिलचिलाती धूप ने ग़ुस्सा उतारा हर जगह

बे-हिसी पर हिस्सियत की दास्ताँ लिख दीजिए

बदन पर सब्ज़ मौसम छा रहे हैं

अमीर-ए-शहर इस इक बात से ख़फ़ा है बहुत

अक्स ज़ख़्मों का जबीं पर नहीं आने देता

ऐ हम-सफ़र ये राह-बरी का गुमान छोड़

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