Ghazals of Zafar Rabab
नाम | ज़फ़र रबाब |
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अंग्रेज़ी नाम | Zafar Rabab |
ज़र्द पत्तों को हवा साथ लिए फिरती है
सानेहा रोज़ नया हो तो ग़ज़ल क्या कहिए
मुज़्महिल क़दमों पे बार
मर्ग-ए-एहसास बिल-यक़ीन आख़िर
जाँ रहे नोचते हयात के दुख
नाम | ज़फ़र रबाब |
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अंग्रेज़ी नाम | Zafar Rabab |
ज़र्द पत्तों को हवा साथ लिए फिरती है
सानेहा रोज़ नया हो तो ग़ज़ल क्या कहिए
मुज़्महिल क़दमों पे बार
मर्ग-ए-एहसास बिल-यक़ीन आख़िर
जाँ रहे नोचते हयात के दुख