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हर्फ़-ए-तदबीर न था हर्फ़-ए-दिलासा रौशन - ज़फ़र मुरादाबादी कविता - Darsaal

हर्फ़-ए-तदबीर न था हर्फ़-ए-दिलासा रौशन

हर्फ़-ए-तदबीर न था हर्फ़-ए-दिलासा रौशन

मैं जो डूबा तो हुआ साहिल-ए-दरिया रौशन

अहद में अपने मुसल्लत है अंधेरों का अज़ाब

ताक़ में वक़्त के रख दो कोई लम्हा रौशन

यूसुफ़-आसा सर-ए-बाज़ार हैं रुस्वा लेकिन

वादी-ए-इश्क़ में है अज़्म-ए-ज़ुलेख़ा रौशन

जो मिरी माँ ने दिया रख़्त-ए-सफ़र की सूरत

मेरे माथे पे अभी तक है वो बोसा रौशन

तीर अंधेरों के मुझे ज़द में लिए बैठे हैं

जैसे इस बज़्म में हूँ मैं ही अकेला रौशन

ऐन मुमकिन है पिघल जाएँ अँधेरे दिल के

ऐ 'ज़फ़र' ऐसे में हो गर कोई नग़्मा रौशन

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Harf-e-tadbir Na Tha Harf-e-dilasa Raushan In Hindi By Famous Poet Zafar Moradabadi. Harf-e-tadbir Na Tha Harf-e-dilasa Raushan is written by Zafar Moradabadi. Complete Poem Harf-e-tadbir Na Tha Harf-e-dilasa Raushan in Hindi by Zafar Moradabadi. Download free Harf-e-tadbir Na Tha Harf-e-dilasa Raushan Poem for Youth in PDF. Harf-e-tadbir Na Tha Harf-e-dilasa Raushan is a Poem on Inspiration for young students. Share Harf-e-tadbir Na Tha Harf-e-dilasa Raushan with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.