ज़फ़र मुरादाबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़फ़र मुरादाबादी
नाम | ज़फ़र मुरादाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Zafar Moradabadi |
जन्म की तारीख | 1951 |
जन्म स्थान | Delhi |
यूँही किसी की कोई बंदगी नहीं करता
तमाम फूल महकने लगे हैं खिल खिल कर
तमाम फूल महकने लगे हैं खिल खिल कर
मिरी उम्मीद का सूरज कि तेरी आस का चाँद
क्या ख़बर किस मोड़ पर बिखरे मता-ए-एहतियात
ख़ुश-गुमाँ हर आसरा बे-आसरा साबित हुआ
कारवाँ से जो भी बिछड़ा गर्द-ए-सहरा हो गया
बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए
तमाम रंग जहाँ इल्तिजा के रक्खे थे
रात भर सूरज के बन कर हम-सफ़र वापस हुए
निगाह-ए-हुस्न-ए-मुजस्सम अदा को छूते ही
नक़ाब उस ने रुख़-ए-हुस्न-ए-ज़र पे डाल दिया
ख़ुश-गुमाँ हर आसरा बे-आसरा साबित हुआ
कभी दुआ तो कभी बद-दुआ से लड़ते हुए
हर्फ़-ए-तदबीर न था हर्फ़-ए-दिलासा रौशन
हर इंतिख़ाब यहाँ माज़ी-ओ-अक़ब का है
बे-क़नाअत क़ाफ़िले हिर्स-ओ-हवा ओढ़े हुए
बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए