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तराना - ज़फ़र कमाली कविता - Darsaal

तराना

कर देंगे हम इस पर अपना तन मन धन क़ुर्बान

सब से अच्छा सब से न्यारा प्यारा हिन्दोस्तान

हिन्दू हों या मुस्लिम हों या सिख हों या ईसाई

गोरे हों या काले हैं आपस में भाई भाई

मिल-जुल कर दाना रहते हैं लड़ते हैं नादान

सब से अच्छा सब से न्यारा प्यारा हिन्दोस्तान

अमृत से भी बढ़ कर है गंगा जमुना का पानी

जो भी इस पानी को पी ले बोले मीठी बानी

सहरा जंगल पर्बत झूमें छेड़ो ऐसी तान

सब से अच्छा सब से न्यारा प्यारा हिन्दोस्तान

दिल काबा है दिल मंदिर है फिर दिल क्यूँ हम तोड़ें

हर दिल में घर कर जाएँ आपस में नाता जोड़ें

कहती है ये गीता सब से कहता है क़ुरआन

सब से अच्छा सब से न्यारा प्यारा हिन्दोस्तान

आसामी हों बंगाली हों या हों राजस्थानी

'गाँधी' 'नेहरू' के वारिस हैं बच्चे हिन्दोस्तानी

जौहर अपने दिखलाएँगे मारेंगे मैदान

सब से अच्छा सब से न्यारा प्यारा हिन्दोस्तान

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Tarana In Hindi By Famous Poet Zafar Kamali. Tarana is written by Zafar Kamali. Complete Poem Tarana in Hindi by Zafar Kamali. Download free Tarana Poem for Youth in PDF. Tarana is a Poem on Inspiration for young students. Share Tarana with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.