गुड़िया की शादी
मुन्नी बोली प्यारी आशा
कितनी भोली मेरी गुड़िया
अच्छा है तेरा भी गुड्डा
हो जाए दोनों का रिश्ता
आशा बोली गुंजाइश है
लेकिन मेरी फ़रमाइश है
हाथी लूँगी घोड़े लूँगी
मैं कपड़े सौ जोड़े लूँगी
टीवी कूलर और इक मोटर
सोने और चाँदी के ज़ेवर
देने होंगे मोटे पैसे
मिलते हैं सेठों को जैसे
मेहमानों की ख़ातिर अच्छी
मानो जब ये बात है पक्की
मुन्नी का तो जी घबराया
आँसू टपके सर चकराया
फिर वो बोली जाओ जाओ
डूबेगी काग़ज़ की नाव
लालच का फल जिस ने खाया
रोया आख़िर वो पछताया
आशा बोली तुम हो पागल
नाहक़ ही होती हो बे-कल
बातें हैं ये बहकी बहकी
मेरे दिल में लालच छी-छी
मैं ने तुम को यूँही छेड़ा
क्यूँ डूबे उल्फ़त का बेड़ा
तेरी गुड़िया मेरी गुड़िया
मेरा गुड्डा तेरा गुड्डा
पैसे की कैसी बर्बादी
शादी होगी सीधी-सादी
लाओ जल्दी शर्बत लाओ
जाओ उछलो नाचो गाओ
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