Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8b6892a93a6004e3249826c9176adc06, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गुड़िया की शादी - ज़फ़र कमाली कविता - Darsaal

गुड़िया की शादी

मुन्नी बोली प्यारी आशा

कितनी भोली मेरी गुड़िया

अच्छा है तेरा भी गुड्डा

हो जाए दोनों का रिश्ता

आशा बोली गुंजाइश है

लेकिन मेरी फ़रमाइश है

हाथी लूँगी घोड़े लूँगी

मैं कपड़े सौ जोड़े लूँगी

टीवी कूलर और इक मोटर

सोने और चाँदी के ज़ेवर

देने होंगे मोटे पैसे

मिलते हैं सेठों को जैसे

मेहमानों की ख़ातिर अच्छी

मानो जब ये बात है पक्की

मुन्नी का तो जी घबराया

आँसू टपके सर चकराया

फिर वो बोली जाओ जाओ

डूबेगी काग़ज़ की नाव

लालच का फल जिस ने खाया

रोया आख़िर वो पछताया

आशा बोली तुम हो पागल

नाहक़ ही होती हो बे-कल

बातें हैं ये बहकी बहकी

मेरे दिल में लालच छी-छी

मैं ने तुम को यूँही छेड़ा

क्यूँ डूबे उल्फ़त का बेड़ा

तेरी गुड़िया मेरी गुड़िया

मेरा गुड्डा तेरा गुड्डा

पैसे की कैसी बर्बादी

शादी होगी सीधी-सादी

लाओ जल्दी शर्बत लाओ

जाओ उछलो नाचो गाओ

(1358) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

GuDiya Ki Shadi In Hindi By Famous Poet Zafar Kamali. GuDiya Ki Shadi is written by Zafar Kamali. Complete Poem GuDiya Ki Shadi in Hindi by Zafar Kamali. Download free GuDiya Ki Shadi Poem for Youth in PDF. GuDiya Ki Shadi is a Poem on Inspiration for young students. Share GuDiya Ki Shadi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.