Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_66bb1a97cce5c9553e771258e2ebaf02, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मोहब्बत की जिस को ख़ुमारी लगे - ज़फ़र कमाली कविता - Darsaal

मोहब्बत की जिस को ख़ुमारी लगे

मोहब्बत की जिस को ख़ुमारी लगे

बियाही भी उस को कुँवारी लगे

हुई उम्र सत्तर बहत्तर मगर

ग़रारे में गोटा-कनारी लगे

हक़ीक़त तो ये है कि बाद-ए-सुमूम

जवानी में बाद-ए-बहारी लगे

जो बैठा है बगुला भगत की तरह

वही हम को असली शिकारी लगे

जो खेला हलाकू ने चंगेज़ ने

वो खेल अब भी दुनिया में जारी लगे

अदब में भी जारी ख़रीद ओ फ़रोख़्त

जिसे देखो वो ब्योपारी लगे

सियासत में ऐसी उछल-कूद है

कि हर एक नेता मदारी लगे

ये ग़ुर्बत ये फ़ाक़ों का इक सिलसिला

हमें तो ये रोज़ा हज़ारी लगे

हमारी रऊनत भी क्या चीज़ है

कि यारों को वो ख़ाकसारी लगे

जो समझे मोहब्बत को इक चाकलेट

यक़ीनन हवस का चुसारी लगे

निभाऊँगा पकड़ा है जब उस का हाथ

खटारा लगे या खटारी लगे

लगें ज़हर हम को 'ज़फ़र' वालदैन

मगर अपनी दुल्हन दुलारी लगे

(1099) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mohabbat Ki Jis Ko KHumari Lage In Hindi By Famous Poet Zafar Kamali. Mohabbat Ki Jis Ko KHumari Lage is written by Zafar Kamali. Complete Poem Mohabbat Ki Jis Ko KHumari Lage in Hindi by Zafar Kamali. Download free Mohabbat Ki Jis Ko KHumari Lage Poem for Youth in PDF. Mohabbat Ki Jis Ko KHumari Lage is a Poem on Inspiration for young students. Share Mohabbat Ki Jis Ko KHumari Lage with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.