ज़फ़र कमाली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़फ़र कमाली
नाम | ज़फ़र कमाली |
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अंग्रेज़ी नाम | Zafar Kamali |
जन्म की तारीख | 1959 |
मौत की तिथि | - |
तराना
शरीर बच्चे
नन्हा पौदा
किताबें
कव्वा और कोयल
गुड़िया की शादी
आता है याद मुझ को
वही सुलूक ज़माने ने मेरे साथ किया
शौहरों से बीबियाँ लड़ती हैं छापा-मार जंग
निगाहों में जो मंज़र हो वही सब कुछ नहीं होता
मोहब्बत की जिस को ख़ुमारी लगे
इश्क़ जब से हो गया इक लखनवी ख़ातून से
इस ज़माने की अजब तिश्ना-लबी है ऐ 'ज़फ़र'
निकाह कर नहीं सकती वो मुझ फ़क़ीर के साथ
नाम से गाँधी के चिढ़ बैर आज़ादी से है
मोहब्बत की जिस को ख़ुमारी लगे
किसी का हो नहीं सकता है कोई काम रोज़े में
इश्क़ जब से हो गया इक लखनवी ख़ातून से
हँसी में हक़ जता कर घर-जमाई छीन लेता है