Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4a2df61aa231934398ae8cfaf3f3e066, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तिलिस्म-ए-होश-रुबा में पतंग उड़ती है - ज़फ़र इक़बाल कविता - Darsaal

तिलिस्म-ए-होश-रुबा में पतंग उड़ती है

तिलिस्म-ए-होश-रुबा में पतंग उड़ती है

किसी अक़ब की हवा में पतंग उड़ती है

चढ़े हैं काटने वालों पे लूटने वाले

इसी हुजूम-ए-बला मैं पतंग उड़ती है

पतंग उड़ाने से क्या मनअ कर सके ज़ाहिद

कि उस की अपनी अबा में पतंग उड़ती है

ये आप कटती है या काटती है दूसरी को

बस एक बीम-ओ-रजा में पतंग उड़ती है

कहीं छतों पे बपा है बसंत का त्यौहार

कहीं पे तंगी-ए-जा में पतंग उड़ती है

कहीं फ़लक पे सरकती है सरसराती हुई

कहीं दिलों की फ़ज़ा में पतंग उड़ती है

खुला है इस पे कुछ ऐसे बहार का मौसम

है रुख़ पे रंग क़बा में पतंग उड़ती है

ये ख़्वाब है कि उलझता है और ख़्वाबों से

ये चाँद है कि ख़ला में पतंग उड़ती है

उमीद-ए-वस्ल में सो जाएँ हम कभी जो 'ज़फ़र'

तो अपनी ख़्वाब-सरा में पतंग उड़ती है

(1525) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tilism-e-hosh-ruba Mein Patang UDti Hai In Hindi By Famous Poet Zafar Iqbal. Tilism-e-hosh-ruba Mein Patang UDti Hai is written by Zafar Iqbal. Complete Poem Tilism-e-hosh-ruba Mein Patang UDti Hai in Hindi by Zafar Iqbal. Download free Tilism-e-hosh-ruba Mein Patang UDti Hai Poem for Youth in PDF. Tilism-e-hosh-ruba Mein Patang UDti Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Tilism-e-hosh-ruba Mein Patang UDti Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.