Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d625705f025150f5b3c20540ee2f6a8f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न कोई बात कहनी है न कोई काम करना है - ज़फ़र इक़बाल कविता - Darsaal

न कोई बात कहनी है न कोई काम करना है

न कोई बात कहनी है न कोई काम करना है

और उस के बाद काफ़ी देर तक आराम करना है

इस आग़ाज़-ए-मोहब्बत ही में पूरे हो गए हम तो

इसे अब और क्या शर्मिंदा-ए-अंजाम करना है

बहुत बे-सूद है लेकिन अभी कुछ और दिन मुझ को

सवाद-ए-सुब्ह में रह कर शुमार-ए-शाम करना है

निशाँ देना है मैं ने कुछ ग़ुबार-आलूद सम्तों का

कोई काफ़ी पुराना राज़ तश्त-अज़-बाम करना है

बदी के तौर पर करनी है नेकी भी मोहब्बत में

कि जो भी काम करना है वो बे-हंगाम करना है

अभी तो कार-ए-ख़ैर इतना पड़ा है सामने मेरे

अभी तो मैं ने हर ख़ास आदमी को आम करना है

कोई बदला चुकाना है वफ़ा के नाम पर उस से

मसाफ़त के लिए उठना है और बिसराम करना है

कमाई उम्र भर की है यही इक जाइदाद अपनी

सो ये ख़्वाब-ए-तमाशा अब किसी के नाम करना है

इक आग़ाज़-ए-सफ़र है ऐ 'ज़फ़र' ये पुख़्ता-कारी भी

अभी तो मैं ने अपनी पुख़्तगी को ख़ाम करना है

(1941) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Na Koi Baat Kahni Hai Na Koi Kaam Karna Hai In Hindi By Famous Poet Zafar Iqbal. Na Koi Baat Kahni Hai Na Koi Kaam Karna Hai is written by Zafar Iqbal. Complete Poem Na Koi Baat Kahni Hai Na Koi Kaam Karna Hai in Hindi by Zafar Iqbal. Download free Na Koi Baat Kahni Hai Na Koi Kaam Karna Hai Poem for Youth in PDF. Na Koi Baat Kahni Hai Na Koi Kaam Karna Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Na Koi Baat Kahni Hai Na Koi Kaam Karna Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.