मेरे अंदर वो मेरे सिवा कौन था
मेरे अंदर वो मेरे सिवा कौन था
मैं तो था ही मगर दूसरा कौन था
लोग भी कुछ तआरुफ़ कराते रहे
मुझ को पहले ही मालूम था कौन था
लोग अंदाज़े ही सब लगाते रहे
वो जबीं किस की थी नक़्श-ए-पा कौन था
मुझ से मिल कर ही अंदाज़ा होगा कोई
वो अलग कौन था वो जुदा कौन था
कोई जिस पर न था मौसमों का असर
बाद सावन के भी वो हरा कौन था
जिस को अहवाल सारा था मालूम वो
बे-ख़बर रास्ते में पड़ा कौन था
मुंतज़िर जिस की दुनिया रही देर तक
दूर से कोई आता हुआ कौन था
आई जिस की महक उस से पहले कहीं
वो सवार-ए-कमंद-ए-हवा कौन था
रेज़ा रेज़ा ही पहचान में था 'ज़फ़र'
जानते थे सभी जा-ब-जा कौन था
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