Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8b9482ee1761ffefe2eeae301bf5fba8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मौसम का हाथ है न हवा है ख़लाओं में - ज़फ़र इक़बाल कविता - Darsaal

मौसम का हाथ है न हवा है ख़लाओं में

मौसम का हाथ है न हवा है ख़लाओं में

फिर उस ने किया तिलिस्म रखा है ख़लाओं में

जो टूटती बिखरती सी रहती है रात दिन

कुछ इस तरह की एक सदा है ख़लाओं में

जारी है रौशनी का सफ़र दूर दूर तक

क्या खेल कोई खेल रहा है ख़लाओं में

मंज़र भी मुख़्तलिफ़ हैं जुदा इस के रंग भी

जिस तरहा कोई ख़्वाब-ए-नवा है ख़लाओं में

जारी है कहकशाओं की बारात इस तरह

मेला सा जैसे कोई लगा है ख़लाओं में

सनअत-गरी की रम्ज़ अलग है ज़मीन पर

कारीगरी का राज़ जुदा है ख़लाओं में

रफ़्तार और वक़्त का अंदाज़ा है कुछ और

फ़ितरत की मुख़्तलिफ़ ही अदा है ख़लाओं में

इस काएनात की कोई हद ही नहीं 'ज़फ़र'

अपना ही उस ने तर्ज़ रखा है ख़लाओं में

(1223) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mausam Ka Hath Hai Na Hawa Hai KHalaon Mein In Hindi By Famous Poet Zafar Iqbal. Mausam Ka Hath Hai Na Hawa Hai KHalaon Mein is written by Zafar Iqbal. Complete Poem Mausam Ka Hath Hai Na Hawa Hai KHalaon Mein in Hindi by Zafar Iqbal. Download free Mausam Ka Hath Hai Na Hawa Hai KHalaon Mein Poem for Youth in PDF. Mausam Ka Hath Hai Na Hawa Hai KHalaon Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share Mausam Ka Hath Hai Na Hawa Hai KHalaon Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.