Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_574bd0edc48228fa909d07cf2dfd984a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चमके गा अभी मेरे ख़यालात से आगे - ज़फ़र इक़बाल कविता - Darsaal

चमके गा अभी मेरे ख़यालात से आगे

चमके गा अभी मेरे ख़यालात से आगे

वो नक़्श कि था दाग़-ए-मुलाक़ात से आगे

लगता है कि मुश्किल है अभी दिन का निकलना

है रात कोई और भी इस रात से आगे

इस वहम से वापस नहीं पल्टा हूँ कि होगा

कुछ और भी इस ख़्वाब-ए-तिलिस्मात से आगे

आराम से पीछे वो हटा देता है मुझ को

बढ़ता हूँ अगर उस की हिदायात से आगे

दौरान-ए-सफ़र करता हूँ आराम भी लेकिन

होता हूँ ठहरने के मक़ामात से आगे

उक़्दा इसी ख़ातिर कोई होता ही नहीं हल

हैं सारे सवालात जवाबात से आगे

आगाह किया है तो हुए और भी ग़ाफ़िल

वाक़िफ़ जो नहीं थे मिरे हालात से आगे

हो सकता है क्या कोई भला उन के बराबर

रहते हैं जो ख़ुद अपने बयानात से आगे

इतना भी बहुत है जो 'ज़फ़र' क़हत-ए-नवा में

निकली है कोई बात मिरी बात से आगे

(1172) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chamke Ga Abhi Mere KHayalat Se Aage In Hindi By Famous Poet Zafar Iqbal. Chamke Ga Abhi Mere KHayalat Se Aage is written by Zafar Iqbal. Complete Poem Chamke Ga Abhi Mere KHayalat Se Aage in Hindi by Zafar Iqbal. Download free Chamke Ga Abhi Mere KHayalat Se Aage Poem for Youth in PDF. Chamke Ga Abhi Mere KHayalat Se Aage is a Poem on Inspiration for young students. Share Chamke Ga Abhi Mere KHayalat Se Aage with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.