Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_119235c665bde6a403908df59b597cfa, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अभी किसी के न मेरे कहे से गुज़रेगा - ज़फ़र इक़बाल कविता - Darsaal

अभी किसी के न मेरे कहे से गुज़रेगा

अभी किसी के न मेरे कहे से गुज़रेगा

वो ख़ुद ही एक दिन इस दाएरे से गुज़रेगा

भरी रहे अभी आँखों में उस के नाम की नींद

वो ख़्वाब है तो यूँही देखने से गुज़रेगा

जो अपने आप गुज़रता है कूचा-ए-दिल से

मुझे गुमाँ था मिरे मशवरे से गुज़रेगा

क़रीब आने की तम्हीद एक ये भी रही

वो पहले पहले ज़रा फ़ासले से गुज़रेगा

क़ुसूर-वार नहीं फिर भी छुपता फिरता हूँ

वो मेरा चोर है और सामने से गुज़रेगा

छुपी हो शायद इसी में सलामती दिल की

ये रफ़्ता रफ़्ता अगर टूटने से गुज़रेगा

हमारी सादा-दिली थी जो हम समझते रहे

कि अक्स है तो इसी आईने से गुज़रेगा

समझ हमें भी है इतनी कि उस का अहद-ए-सितम

गुज़ारना है तो अब हौसले से गुज़रेगा

गली गली मिरे ज़र्रे बिखर गए थे 'ज़फ़र'

ख़बर न थी कि वो किस रास्ते से गुज़रेगा

(1905) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Abhi Kisi Ke Na Mere Kahe Se Guzrega In Hindi By Famous Poet Zafar Iqbal. Abhi Kisi Ke Na Mere Kahe Se Guzrega is written by Zafar Iqbal. Complete Poem Abhi Kisi Ke Na Mere Kahe Se Guzrega in Hindi by Zafar Iqbal. Download free Abhi Kisi Ke Na Mere Kahe Se Guzrega Poem for Youth in PDF. Abhi Kisi Ke Na Mere Kahe Se Guzrega is a Poem on Inspiration for young students. Share Abhi Kisi Ke Na Mere Kahe Se Guzrega with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.