Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_067ee98d230c0ed74390108c5f45a52a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कनीज़-ए-वक़्त को नीलाम कर दिया सब ने - ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र कविता - Darsaal

कनीज़-ए-वक़्त को नीलाम कर दिया सब ने

कनीज़-ए-वक़्त को नीलाम कर दिया सब ने

ये वहम क्या है बड़ा काम कर दिया सब ने

कोई भी शख़्स सेहत-मंद क्या नज़र आए

मुनाफ़रत का सबक़ आम कर दिया सब ने

मिली न जब उन्हें ता'बीर अपने ख़्वाबों की

फिर अपनी आँखों को नीलाम कर दिया सब ने

बुरा समझ के बुज़ुर्गों ने जिस को छोड़ा था

वो कार-ए-बद ख़ुश-अंजाम दिया सब ने

हर एक सच को तो मंसूब कर लिया ख़ुद से

तमाम झूट मिरे नाम कर दिया सब ने

जो अपने अहद को सच्चाई बाँटता था 'ज़फ़र'

उस एक शख़्स को बदनाम कर दिया सब ने

(1010) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kaniz-e-waqt Ko Nilam Kar Diya Sab Ne In Hindi By Famous Poet Zafar Iqbal Zafar. Kaniz-e-waqt Ko Nilam Kar Diya Sab Ne is written by Zafar Iqbal Zafar. Complete Poem Kaniz-e-waqt Ko Nilam Kar Diya Sab Ne in Hindi by Zafar Iqbal Zafar. Download free Kaniz-e-waqt Ko Nilam Kar Diya Sab Ne Poem for Youth in PDF. Kaniz-e-waqt Ko Nilam Kar Diya Sab Ne is a Poem on Inspiration for young students. Share Kaniz-e-waqt Ko Nilam Kar Diya Sab Ne with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.