Ghazals of Zafar Imam
नाम | ज़फर इमाम |
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अंग्रेज़ी नाम | Zafar Imam |
साहिल पर दरिया की लहरें सज्दा करती रहती हैं
मेरे अंदर का ग़ुरूर अंदर गुज़रता रह गया
मैं ही दस्तक देने वाला मैं ही दस्तक सुनने वाला
इक नदी में सैकड़ों दरिया की तुग़्यानी मिली
धूप निकली कभी बादल से ढकी रहती है
दर्द बहता है दरिया के सीने में पानी नहीं
भले ही आँख मिरी सारी रात जागेगी