अभी ज़िंदा हैं हम पर ख़त्म कर ले इम्तिहाँ सारे
हमारे बाद कोई इम्तिहाँ कोई नहीं देगा
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कोई आँखों के शोले पोंछने वाला नहीं होगा
ज़मीं फिर दर्द का ये साएबाँ कोई नहीं देगा
शायद अब तक मुझ में कोई घोंसला आबाद है
मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए
आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा था दिल की आग से
एक मुट्ठी एक सहरा भेज दे
समुंदर ले गया हम से वो सारी सीपियाँ वापस
दिन को भी इतना अंधेरा है मिरे कमरे में
देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे
फ़लक ने भी न ठिकाना कहीं दिया हम को
कैसी शब है एक इक करवट पे कट जाता है जिस्म