Coupletss of Zafar Gorakhpuri
नाम | ज़फ़र गोरखपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Zafar Gorakhpuri |
जन्म की तारीख | 1935 |
ज़ेहनों की कहीं जंग कहीं ज़ात का टकराव
उसे ठहरा सको इतनी भी तो वुसअत नहीं घर में
तंहाई को घर से रुख़्सत कर तो दो
शायद अब तक मुझ में कोई घोंसला आबाद है
शजर के क़त्ल में इस का भी हाथ है शायद
समुंदर ले गया हम से वो सारी सीपियाँ वापस
नहीं मालूम आख़िर किस ने किस को थाम रक्खा है
मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझ को पाने के लिए
मैं 'ज़फ़र' ता-ज़िंदगी बिकता रहा परदेस में
कोई आँखों के शोले पोंछने वाला नहीं होगा
कितनी आसानी से मशहूर किया है ख़ुद को
ख़त लिख के कभी और कभी ख़त को जला कर
कैसी शब है एक इक करवट पे कट जाता है जिस्म
फ़लक ने भी न ठिकाना कहीं दिया हम को
देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे
छत टपकती थी अगरचे फिर भी आ जाती थी नींद
अपने अतवार में कितना बड़ा शातिर होगा
अभी ज़िंदा हैं हम पर ख़त्म कर ले इम्तिहाँ सारे
आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा था दिल की आग से
आँखें यूँ ही भीग गईं क्या देख रहे हो आँखों में