Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_899e9e95584919a8488dbc9c2c5cc90d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आप की मुझ पे जब भी नवाज़िश हुई - ज़फ़र अंसारी ज़फ़र कविता - Darsaal

आप की मुझ पे जब भी नवाज़िश हुई

आप की मुझ पे जब भी नवाज़िश हुई

मुझ पे संग-ए-मलामत की बारिश हुई

ज़िंदगी भर रहेगी मुझे याद वो

इश्क़ में जो मिरी आज़माइश हुई

मेरा बचपन मुझे याद आने लगा

तितलियों की जहाँ भी नुमाइश हुई

मेरे दामन पे कीचड़ उछलता नहीं

क्या ख़बर क्या रक़ीबों में साज़िश हुई

झूट तो झूट था झूट ही वो रहा

बारहा सच बनाने की कोशिश हुई

ज़ुल्फ़ बिखराए वो बाम पर आ गए

जब सुहानी रुतों की सिफ़ारिश हुई

कितना बद-ज़ौक़ शहर-ए-ग़ज़ल है 'ज़फ़र'

बहरे गूँगे की हर सू सताइश हुई

(962) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aap Ki Mujh Pe Jab Bhi Nawazish Hui In Hindi By Famous Poet Zafar Ansari Zafar. Aap Ki Mujh Pe Jab Bhi Nawazish Hui is written by Zafar Ansari Zafar. Complete Poem Aap Ki Mujh Pe Jab Bhi Nawazish Hui in Hindi by Zafar Ansari Zafar. Download free Aap Ki Mujh Pe Jab Bhi Nawazish Hui Poem for Youth in PDF. Aap Ki Mujh Pe Jab Bhi Nawazish Hui is a Poem on Inspiration for young students. Share Aap Ki Mujh Pe Jab Bhi Nawazish Hui with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.