Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_06c8d2d3c004805ef6accdcac19c4845, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़ुशा ऐ ज़ख़्म कि सूरत नई निकलती है - ज़फ़र अज्मी कविता - Darsaal

ख़ुशा ऐ ज़ख़्म कि सूरत नई निकलती है

ख़ुशा ऐ ज़ख़्म कि सूरत नई निकलती है

बजाए ख़ून के अब रौशनी निकलती है

निगाह-ए-लुत्फ़ हो इस दिल पे भी ओ-शीशा-ब-दस्त

इस आइने से भी सूरत तिरी निकलती है

मिरे हरीफ़ हैं मसरूफ़ हर्फ़-साज़ी में

यहाँ तो सौत-ए-यक़ीं आप ही निकलती है

ज़ुबाँ-बुरीदा शिकस्ता-बदन सही फिर भी

खड़े हुए हैं और आवाज़ भी निकलती है

तमाम शहर है इक मीठे बोल का साइल

हमारी जेब से हाँ ये ख़ुशी निकलती है

इक ऐसा वक़्त भी सैर-ए-चमन में देखा है

कली के सीने से जब बे-कली निकलती है

किसी के रास्ते की ख़ाक में पड़े हैं 'ज़फ़र'

मता-ए-उम्र यही आजिज़ी निकलती है

(951) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHusha Ai ZaKHm Ki Surat Nai Nikalti Hai In Hindi By Famous Poet Zafar Ajmi. KHusha Ai ZaKHm Ki Surat Nai Nikalti Hai is written by Zafar Ajmi. Complete Poem KHusha Ai ZaKHm Ki Surat Nai Nikalti Hai in Hindi by Zafar Ajmi. Download free KHusha Ai ZaKHm Ki Surat Nai Nikalti Hai Poem for Youth in PDF. KHusha Ai ZaKHm Ki Surat Nai Nikalti Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share KHusha Ai ZaKHm Ki Surat Nai Nikalti Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.