आँखों में तिरे जल्वे लिए फिरते हैं हम लोग
हम लोग कि रुस्वा सर-ए-बाज़ार हुए हैं
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Rahat Indori
Gulzar
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
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हाए ये तवील ओ सर्द रातें
क्या ढूँडने आए हो नज़र में
ज़हर है मेरे रग-ओ-पै में मोहब्बत शायद
वो मेरी जान है दिल से कभी जुदा न हुआ
एक भी आफ़्ताब बन न सका
आ मिरे चाँद रात सूनी है
दूर हो कर भी सुनीं तुम ने हिकायात-ए-वफ़ा
उन की महफ़िल में 'ज़फ़र' लोग मुझे चाहते हैं
तामीर-ए-ज़िंदगी को नुमायाँ किया गया
मैं हूँ तेरे लिए बेनाम-ओ-निशाँ आवारा
जो हुरूफ़ लिख गया था मिरी आरज़ू का बचपन