यारो हर ग़म ग़म-ए-याराँ है क़रीब आ जाओ
यारो हर ग़म ग़म-ए-याराँ है क़रीब आ जाओ
प्यारो फिर फ़स्ल-ए-बहाराँ है क़रीब आ जाओ
दूर हो कर भी सुनीं तुम ने हिकायात-ए-वफ़ा
क़ुर्ब में भी वही उनवाँ है क़रीब आ जाओ
हम मोहब्बत के मुसाफ़िर हैं कहीं देख न लें
धात में गर्दिश-ए-दौराँ है क़रीब आ जाओ
जान प्यारी है कि तुम भी हो मिरी जान के साथ
ग़म-ए-जाँ ही ग़म-ए-जानाँ है क़रीब आ जाओ
आज दुनिया को नहीं अपने ग़मों से फ़ुर्सत
आज मिल बैठना आसाँ है क़रीब आ जाओ
किस मुरव्वत पे ज़माने से डरें दूर रहें
आओ अल्लाह निगहबाँ है क़रीब आ जाओ
मेरे ही पहलू-ए-सोज़ाँ में सकूँ मुमकिन है
चार-सू गर्दिश-ए-दौराँ है क़रीब आ जाओ
जाओ अब जाओ कि वो अहद-ए-वफ़ा ख़त्म हुआ
जब भी देखो कि फिर इम्काँ है क़रीब आ जाओ
मैं ज़माने की कड़ी धूप का मारा हूँ 'ज़फ़र'
तुम कहाँ हो चमनिस्ताँ है क़रीब आ जाओ
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