नौहा

ज़ीस्त और मौत की सर्द-ओ-वीरान सी

दो क़यामत नुमा सरहदें

और पहलू में इन सरहदों के

वो धुँदली सी बुझती हुई इक लकीर

जिस की दहलीज़ पर आख़िरी साँस लेते हुए

रूठ कर हम से कोई

जो इस मुख़्तसर फ़ासले से गुज़र जाएगा

लौट कर वो नहीं आएगा

सर्द रातों में हम उस को आवाज़ दें तो जवाबन हमें

गूँज की सूरत अपनी ही आवाज़ आती रहेगी

मौत के सर्द होंटों पे जुम्बिश न होगी

पर उन्हें सर्द तारीक रातों के सीने पे तुम देखना

कल हमें इक सितारा चमकता नज़र आएगा

और ख़ामोशियों में हमें जा-ब-जा एक आहट सी महसूस होगी

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Nauha In Hindi By Famous Poet Yusuf Rahat. Nauha is written by Yusuf Rahat. Complete Poem Nauha in Hindi by Yusuf Rahat. Download free Nauha Poem for Youth in PDF. Nauha is a Poem on Inspiration for young students. Share Nauha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.