युसूफ़ जमाल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का युसूफ़ जमाल

युसूफ़ जमाल  कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का युसूफ़ जमाल
नामयुसूफ़ जमाल
अंग्रेज़ी नामYusuf Jamal

वक़्त की महरूमियों ने छीन ली मेरी ज़बान

क़ातिल तो सीना तान के चलते रहे यहाँ

पूछे जो ज़िंदगी की हक़ीक़त कोई 'जमाल'

जब मैं कच्चा फल था तो महफ़ूज़ था मैं

ढूँडते हो क्यूँ जली तहरीर के असबाक़ में

बौना था वो ज़रूर मगर इस के बावजूद

ज़ख़्मों की मुनाजात में पिन्हाँ वो असर था

उन्हें क़ैद करने की कोशिश है कैसी

सोचा कि वा हो सब्ज़ दरीचा जो बंद था

सारा बदन है ख़ून से क्यूँ तर उसे दिखा

सर पर दुख का ताज सुहाना लगता है

लग़्ज़िशें तन्हाइयों की सब बता दी जाएँगी

कोरे काग़ज़ की तरह बे-नूर बाबों में रहा

हम रिवायत के साँचे में ढलते भी हैं

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