पहले मैं तेरी नज़र में आया
फिर कहीं अपनी ख़बर में आया
मैं तिरे एक ही पल में ठहरा
तू मिरे शाम-ओ-सहर में आया
मुझ पे छाई रहीं पलकें तेरी
मैं कहाँ साया-ए-ज़र में आया
एक मैं ही तिरी धुन में निकला
एक तू ही मिरे घर में आया
हम जो इक साथ चले तो 'यूसुफ़'
आसमाँ गर्द-ए-सफ़र में आया