Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d6528a9da70d6c728267c0b8a6711996, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कितनी हसीन लगती है चेहरों की ये किताब - यूसुफ़ आज़मी कविता - Darsaal

कितनी हसीन लगती है चेहरों की ये किताब

कितनी हसीन लगती है चेहरों की ये किताब

सत्रों के बीच देखिए फैला हुआ अज़ाब

चीख़ों का कर्ब नग़्मों के शोले वरक़ वरक़

एहसास बन रहा है जवाँ दर्द की किताब

मीज़ान-ए-दिल में तौलिए फूलों से हर उमीद

लम्हों में घुल रहा है तमन्नाओं का शबाब

चेहरों पे आज कितने नक़ाबों का बोझ है

ज़ख़्मी है आईनों के समुंदर में हर हिजाब

ये ज़िंदगी है सायों का बिखरा हुआ कफ़न

दश्त-ए-सफ़र है ख़्वाब का फैला हुआ सराब

(1197) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kitni Hasin Lagti Hai Chehron Ki Ye Kitab In Hindi By Famous Poet Yusuf Azmi. Kitni Hasin Lagti Hai Chehron Ki Ye Kitab is written by Yusuf Azmi. Complete Poem Kitni Hasin Lagti Hai Chehron Ki Ye Kitab in Hindi by Yusuf Azmi. Download free Kitni Hasin Lagti Hai Chehron Ki Ye Kitab Poem for Youth in PDF. Kitni Hasin Lagti Hai Chehron Ki Ye Kitab is a Poem on Inspiration for young students. Share Kitni Hasin Lagti Hai Chehron Ki Ye Kitab with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.