Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2164c1af5962cc59835380d6367133fd, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सूरज के साथ साथ उभारे गए हैं हम - यज़दानी जालंधरी कविता - Darsaal

सूरज के साथ साथ उभारे गए हैं हम

सूरज के साथ साथ उभारे गए हैं हम

तारीकियों में फिर भी उतारे गए हैं हम

रास आ सकी न हम को हवा तेरे शहर की

यूँ तो क़दम क़दम पे सँवारे गए हैं हम

कुछ क़हक़हों के अब्र-ए-रवाँ ने दिया निखार

कुछ ग़म की धूप से भी निखारे गए हैं हम

साहिल से राब्ता हैं नहीं टूटता कभी

कैसे समुंदरों में उतारे गए हैं हम

टूटा न राह-ए-शौक़ में अफ़्सून-ए-तीरगी

ले कर जिलौ में चाँद सितारे गए हैं हम

जाना मुहाल था तिरी महफ़िल को छोड़ कर

पा कर तिरी नज़र के इशारे गए हैं हम

इस तीरा ख़ाक-दाँ में कोई पूछता नहीं

कहने को आसमाँ से उतारे गए हैं हम

सौ बार बार-ए-ग़म ने परेशाँ किया हमें

सौ बार मिस्ल-ए-ज़ुल्फ़ सँवारे गए हैं हम

इस सिलसिले में मौत तो बदनाम है यूँही

इस ज़िंदगी के हाथों ही मारे गए हैं हम

गिर्दाब-ए-ग़म में डूब के उभरे हैं बारहा

किस ने कहा किनारे किनारे गए हैं हम

'यज़्दानी'-ए-हजीं हमें कुछ भी ख़बर नहीं

उस आस्ताँ पे किस के सहारे गए हैं हम

(1076) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Suraj Ke Sath Sath Ubhaare Gae Hain Hum In Hindi By Famous Poet Yazdani Jalandhari. Suraj Ke Sath Sath Ubhaare Gae Hain Hum is written by Yazdani Jalandhari. Complete Poem Suraj Ke Sath Sath Ubhaare Gae Hain Hum in Hindi by Yazdani Jalandhari. Download free Suraj Ke Sath Sath Ubhaare Gae Hain Hum Poem for Youth in PDF. Suraj Ke Sath Sath Ubhaare Gae Hain Hum is a Poem on Inspiration for young students. Share Suraj Ke Sath Sath Ubhaare Gae Hain Hum with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.