यासमीन हमीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का यासमीन हमीद
नाम | यासमीन हमीद |
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अंग्रेज़ी नाम | Yasmeen Hameed |
जन्म की तारीख | 1951 |
जन्म स्थान | Pakistan |
ज़रा धीमी हो तो ख़ुशबू भी भली लगती है
उस के शिकस्ता वार का भी रख लिया भरम
उस इमारत को गिरा दो जो नज़र आती है
समुंदर हो तो उस में डूब जाना भी रवा है
रस्ते से मिरी जंग भी जारी है अभी तक
मुसलसल एक ही तस्वीर चश्म-ए-तर में रही
मिरी हर बात पस-मंज़र से क्यूँ मंसूब होती है
मैं अब उस हर्फ़ से कतरा रही हूँ
क्यूँ ढूँडने निकले हैं नए ग़म का ख़ज़ीना
किसी के नर्म लहजे का क़रीना
ख़ुशी के दौर तो मेहमाँ थे आते जाते रहे
जो डुबोएगी न पहुँचाएगी साहिल पे हमें
जिस सम्त की हवा है उसी सम्त चल पड़ें
इतनी बे-रब्त कहानी नहीं अच्छी लगती
हमें ख़बर थी बचाने का उस में यारा नहीं
अपनी निगाह पर भी करूँ ए'तिबार क्या
अगर इतनी मुक़द्दम थी ज़रूरत रौशनी की
उफ़ुक़ तक मेरा सहरा खिल रहा है
मुसलसल एक ही तस्वीर चश्म-ए-तर में रही
मिसाल-ए-अक्स मिरे आइने में ढलता रहा
कोई पूछे मिरे महताब से मेरे सितारों से
इतने आसूदा किनारे नहीं अच्छे लगते
हम ने किसी को अहद-ए-वफ़ा से रिहा किया
हमें ख़बर थी बचाने का उस में यारा नहीं
एक इक हर्फ़ समेटो मुझे तहरीर करो
इक बे-पनाह रात का तन्हा जवाब था
दौलत-ए-दर्द समेटो कि बिखरने को है
दरिया की रवानी वही दहशत भी वही है
अता-ए-अब्र से इंकार करना चाहिए था