जहाँ बात वहदत की गहरी रहेगी
जहाँ बात वहदत की गहरी रहेगी
वहाँ फ़िक्र अपनी न तेरी रहेगी
लजाजत अमीरों से यक-दम उठा दे
क़नाअ'त से अपनी फ़क़ीरी रहेगी
न जीने की ख़्वाहिश न मरने का ग़म है
जो हालत है अपनी वो ठहरी रहेगी
मुजल्ला हुआ जब से दिल है हमारा
न मरक़द में अपने अँधेरी रहेगी
घमंड हर तरह करना ज़ेबा नहीं है
जवानी किसी की न पीरी रहेगी
ख़ुदाई की क़ुदरत ख़ुदी से है 'मरकज़'
मुक़ल्लिद हैं जब तक असीरी रहेगी
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