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अपना पता मुझे बता बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है - यासीन अली ख़ाँ मरकज़ कविता - Darsaal

अपना पता मुझे बता बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

अपना पता मुझे बता बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

तुझ पे हैं सारे मुब्तला बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

नाम-ए-ख़ुदा सुना किया तेरे सिवा नहीं मिला

सारी सिफ़त से है भरा बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

तेरा हसद तो नाम था हो गया बंदा किस तरह

तेरी ही ज़ात है बक़ा बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

तेरे से हस्त कुल हुई थी तू अदम में बे-निशाँ

हादी मुज़िल है बरमला बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

मालिक-ए-दो-जहाँ है तू चाहे जिसे अता करे

कर दे गदा को बादशा बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

तेरे करम से ऐ शहा मैं ने ख़ुदा-नुमा हुआ

था तू फ़ना बक़ा मिला बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

'मरकज़'-ए-जुमला-काएनात मज़हर-ए-ज़ात-ए-किब्रिया

तेरे सिवा नहीं हुआ बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

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